
नई दिल्ली
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत ने भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर एक स्पष्ट और गंभीर आकलन पेश करते हुए कहा कि भारत के पास शक्तिशाली बनने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। यह बयान ऐसे समय पर आया है जब संघ अपनी शताब्दी वर्ष की तैयारी कर रहा है और हाल ही में पाकिस्तान के खिलाफ सफलतापूर्वक ऑपरेशन सिंदूर को अंजाम दिया गया है। विशेष साक्षात्कार में भागवत ने कहा, “हम विश्व व्यापार पर प्रभुत्व जमाने के लिए ताकतवर नहीं बनना चाहते, बल्कि इसलिए कि हर कोई शांतिपूर्ण, स्वस्थ और सशक्त जीवन जी सके। हमारी सीमाओं पर बुराई की ताकतें सक्रिय हैं, इसलिए हमें शक्ति अर्जित करनी ही होगी।” भागवत ने इस बात पर बल दिया कि सुरक्षा केवल सरकार या सेना का कार्य नहीं है, बल्कि समाज से शुरू होती है। उन्होंने हिंदू समाज को आत्मरक्षा के लिए तैयार रहने की सलाह दी, “आपको खुद अपनी रक्षा करनी होगी। दूसरों का इंतजार मत कीजिए। जब हिंदू मजबूती से खड़े होते हैं, तब दुनिया उन्हें गंभीरता से लेती है।”
मोहन भागवत ने राष्ट्रीय सुरक्षा को सीमाओं या बैरकों तक सीमित न मानते हुए इसे मानसिक, सांस्कृतिक और पूर्व-सक्रिय बताया। उन्होंने कहा कि जातीय समरसता, पारिवारिक मूल्यों और पारिस्थितिकी के प्रति ज़िम्मेदारी भी सुरक्षा के घटक हैं। उन्होंने कहा कि एक टूटा हुआ समाज अपनी रक्षा कैसे करेगा?
युद्ध न हो, इसकी तैयारी करो
मोहन भागवत ने कहा, “ऐसी शक्ति हमें प्राप्त हो कि हम वैश्विक स्तर पर अजेय बन जाएं। सच्ची ताकत आंतरिक होती है। राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए हमें दूसरों पर निर्भर नहीं होना चाहिए। कोई भी ताकत चाहे कई देशों की संयुक्त शक्ति हो, हमें पराजित न कर सके। हम युद्ध की कामना नहीं करते, लेकिन युद्ध न हो इसकी तैयारी करते हैं।”
हिंदू अल्पसंख्यकों की चिंता
मोहन भागवत ने पाकिस्तान और बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों की बात करते हुए कहा कि अब वे भागने की बजाय लड़ने को तैयार हैं। उन्होंने कहा, “इस बार बांग्लादेश में हिंदुओं पर हुए अत्याचार के खिलाफ जो आक्रोश सामने आया वह अभूतपूर्व है। अब स्थानीय हिंदू भी कह रहे हैं कि हम भागेंगे नहीं, अधिकारों के लिए लड़ेंगे। संघ का यही उद्देश्य है। जहां कहीं भी हिंदू हैं, हम उनके लिए अंतरराष्ट्रीय नियमों के अंतर्गत हर संभव प्रयास करेंगे।”